निकल पड़ा था पाने अपनी मंज़िल,थी बिल्कुल अनजान जो, मगर किस्मत ने ना दिया साथ मेरा होगई किस्मत किसी और के हवाले और लिख गई मेरी मंज़िल किसी और को।
ना थी कभी तेरे इश्क़ की खबर, करते हो इतनी महोब्बत
हम तो नासमझ! जो ना जान पाए
ना समझ पाए किमत तेरी तेरे इकरार कि
हुआ जो असास दिल को मेरे
करता है अब ये ईबादत तेरा और करता रहेगा
यु तेरा जलना राज़ आया
यु तेरा रूठना राज़ आया
यु जताना हक मुझ पर तेरा राज़ आया
करते है महोब्बत बेपनाह तुम से
बस ये इकरार जताना बरकरार रखना
सासें तेरी धड़काए धड़कन मेरी
अवाज़ तेरी गुदगुदाए रूह को मेरी
है! जो ये जादू तेरी बातो का
आंखे नम कर जाए मेरी ।
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