हैदराबाद में शैक्षणिक भ्रमण के दौरान वहां के मौलाना आज़ाद नेशनल उर्दू यूनिवर्सिटी(MANUU) जाने का मौका मिल जहा जा के पता चला कि हमे तो अब तक एक कुए के मेंढक के तौर पर माहत्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय में रखा गया है ।
मानू और mgahv एक साथ सन 1998 में संसद द्वारा स्थापित किया गया । दोनों विश्विद्यालय को फण्ड भी सरकार द्वारा एक ही प्राप्त होती है । फिर मानू,mgahv से लाख गुना बेहतर सुविधाएं अपने छात्रों को प्रदान कर रहा है । सवाल यहा ये है कि क्या कारण है मानू आज इतना आगे निकल गया है और mgahv इतना पिछे ? चुकी मैं जनसंचार का विद्यार्थी हूं मैंने वाह जनसंचार विभाग का ही भ्रमण और निरक्षण किया है इस वज़ह से मैं उनके जनसंचार और हमारे जनसंचार विभाग के बारे में बात करूंगा । हमे हमारे mgahv के जनसंचार विभाग द्वारा यह बताया जाता रहा है कि इस तरह का स्टुडियो सेटअप और तमाम तकनीकी सुविधा तुम्हे और दुसरे विश्विद्यालयों में नही देखने मिलेगा । लेकिन जब हम सभी छात्र मानू में प्रवेश करते है और वहा के स्टूडियो और तकनीकी सुविधओं को परखते है देखते है तब समंझ में आता है कि हमारे जनसंचार विभाग ने अब तक जो हमे बताया था सब भ्रम था महज एक छलावा था । यहा मानू में वह तमाम सुविधाएं मौजूद है जो एक जनसंचार के छात्र को मिलनी चाहिए । इनके पास अपना प्रोडक्शन कंट्रोल रूम( पी.सी.आर)है जिसमे वह तमाम उपकरण मैजूद है जो किसी एक न्यूज़ चैनल संस्था में होता है यह देख कर मैं बहुत आश्चर्य हुआ और ज़हन में एक खलन सी हुई कि आखिर हमारे साथ ऐसा क्यों हो रहा है ।
वहीं जब मानू में स्टूडियो की बात करे तो वहा के हॉल की उचाई ही सारा कुछ बयान कर रही थी कि वह स्टूडियों अपने आप मे कितना समृद्ध है लगभग पच्चास स्टूडियो लाइट्स सीलिंग से लटके हुए है लगभग चार महंगे एच डी कैमरे है वह जो खुद जनसंचार विभाग का अपना है डॉक्यूमेंट के चलचित्रण के लिए वहा अलग से स्पेशल सोनी कैमरे का सेटअप तयार किया गया है । सब से ख़ास बात यह कि ये सारी सुविधाएं केवल दिखाने भर के लिए नही थी । वहा के छात्रों और शिक्षकों द्वारा बताया गया की वे सारे उपकरणों का पूरा पूरा उपयोग करते है शिक्षक पहले छात्रों को सारे उपकरणों से परिचित कराते है उन्हें इस्तेमाल करना सिखाते है फिर आखिर में छात्रों को स्वयं से उपयोग के लिए तमाम तकनीकी उकरणो को सौप दिया जाता है चाहें वह छुट्टी का ही दिन क्यों न हो छात्र विभाग में राह कर अपना कार्य पूर्ण कर सकते है ।
अब आते है हमारे mgahv की ओर जहां मैं स्टूडियो से शुरू करता हूं यहा स्टूडियो में लाइट्स की बात की जाए तो गिनती के लकगभग साथ-आठ ही होंगे एक कैमरा है जो ऑउट डेटेड है वह भी हमारे विभाग का है या नही इसका भी कोई प्रमाण नही है टेलीप्रोमटर की सुविधा है क्रोमा की भी सुविधा है बाकी पूरा डब्बा है यहां मैंने कैमरा कब पूर्ण रूप से कब इस्तेमाल किया तय यह याद नहीं है शायद चलता भी है कि नही पता नही ।
इसके अलावा कंप्यूटर लैब है जहां वीडियो एडिटिंग सॉफ्टवेयर आप को पायरेटेड वर्शन में मिलेंगी जो कभी भी आप के द्वारा की गई घंटो लो मेहनत पर मिंटो में पानी फेर सकती है । कहा जाए तो हमे स्टूडियो के नाम से एक खाली डब्बा उपलब्ध कराया गया है वही कंप्यूटर लैब कह कर साइबर कैफ़े दिया गया है।
इन तमाम असुविधो के बीच जहा हम कुछ सिख नही पाते वही शिक्षो द्वारा हमपे यह बोझ डाल दिया जाता है कि आप 8-10 वीडियो पैकेज बना के सबमिट करो। मानू की बात करे तो वहां के छात्र अपने मे इतने ज्यादा माहिर हो चुके है कि वे अभी से अपने फ़िल्म और डॉक्यूमेंट्री बना रहे है पोर्टल यूट्यूब चैनल संचालित कर रहे है वो भी अपने जनसंचार विभाग के उपकरणों और शिक्षिकों ले मार्गदर्शन पर । वही mgahv के जनसंचार विभाग के छात्र ये ही सुलझाने के लगे है कि वीडियो एडिट कैसे करते है और 10 वीडियो पैकेज कैसे तयार किया जाए ।
मैं उम्मीद करता हूं हमारा भविष्य सुरक्षित हो
औऱ आगे आने वाली पीढ़ी को mgahv में बदलाव मिले जो हम झेल रहे है उन्हें यह असुविधा न हो । भ्रष्टाचार mgahv के छात्रों के जिंदगी के साथ बहुत बड़ा धोखा कर रहा है इसे समंझना होगा और इसे जल्द से जल्द खत्म करना होगा इससे पहले की देर हो जाये और आने वाले समय मे यह विश्वविद्यालय बंद हो जाये।